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नग्नता या आधुनिकता

अक्सर किसी शॉपिंग मॉल , होटल या किसी पार्टी में ऐसी ड्रेस पहने महिलाएं दिख जाती है जिन्हें देख कर खुद ही शर्म आने लगती है । रेल्वे स्टेशन, बस स्टॉप, हवाई अड्डे तक पे ऐसी भड़काऊ और अर्धनग्न ड्रेस में दिख जाती है। अर्ध नग्न होकर सार्वजनिक स्थानों पर घूमना क्या हमारी संस्कृति पर दाग नहीं लगा रही है। ये कैसी आधुनिकता है? ये कैसा विकास है। जिस तरह से सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करना मना है वैसे ही सार्वजानिक जगहों पर अर्धनग्न होकर या भड़काऊ ड्रेस पहन कर जाने पर भी रोक लगना चाहिए। क्योंकि धूम्रपान से लोगों के शारीरिक बीमार होने का खतरा है तो भड़काऊ और बदन दिखाऊ ड्रेस से लोगों के मानसिक बीमार होने का भी खतरा है। इसलिए शासन प्रशासन को इसे संज्ञान में लेना चाहिए। संसद में एक कानून बना कर ऐसे लोगों पर सख्त करवाई का प्रावधान होना चाहिए जो हमारी भारतीय संस्कृति को धूमिल कर रहे हैं । चाहे वो कितना हु बड़ा सेलिब्रिटी क्यों न हो। खास तौर पे आधुनिक युवा पीढ़ी पर इतना असर पड़ा है कि ये बस - ट्रेन - मेट्रो - पार्क इत्यादि सार्वजनिक जगहों पर किसिंग और आलिंगन की स्थिति में दिख जाते हैं। जो एक मानसिक बीमारी का परिचायक है । इसे दूर करने के लिए सरकार को ऐक्शन लेना चाहिए।

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